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स्वर्ण पूर्व नगरी में एक नन्ही परी जिसका नाम सोनम था अपनी मां के साथ रहती थी। वह देखने में बहुत ही सुंदर लगती थी अन्य परिया उसकी सुंदरता से ईर्ष्या करती थी। सोनम ने अपने जादू से एक पेड़ लगाया जिसपर रंग-बिरंगे ,मीठे मीठे फल हमेशा लगे रहते थे। वह रोज शाम को उस पेड़ पर सवार होकर घूमने जाया करती थी। वह पेड़ हवा में उड़ सकता था।
चतुर खरगोश और शेर की कहानी, khargosh aur sher ki kahani hindi mein
उसने ऐसा सोचकर कई सारी डुबकियां लगा ली। ऐसा करने पर छोटी रानी के शरीर के सारे कपड़े फटे और पुराने हो गए। उसके सारे गहने गायब हो गए। उसके शरीर का रंग भी गहरा हो गया। शरीर पर दाग और दाने निकल गए। छोटी रानी अब पहले की तरह सुंदर नहीं लग रही थी।
यह बात इच्छा परी को अच्छी नही लगी और उसको गुस्सा आ गया। गुस्से से लाल होकर इच्छा परी ने अपने जादू से उस जादूगर को पकड़ना चाहा लेकिन वह जादूगर भी जादू जानता था इसलिए उसने ऐसा नहीं होने दिया। जादूगर, इच्छा परी से ज्यादा शक्तिशाली था।
घूमते घूमते हुए वे सब एक नदी किनारे पहुंची. तभी मूसलाधार बारिश होने लगी. चारों और घने घने बादल छा गए. बारिश से बचने के लिए सभी परियों ने एक गुफा में शरण ली. बारिश इतनी तेज हो रही थी कि, रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.
अंत में, सिंड्रेला ने जूता पहना। जूता उसके पैर में बिल्कुल फिट बैठता था। राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई। वे खुशी-खुशी रहने लगे।
सुमन ने बताया कि वह अपने पिता के वादे को पूरा करने आई है.
वनदेव ने उसे महल में रहने का प्रस्ताव दिया. सुमन वहां रहने के लिए तैयार हो गई.
रश्मि परी ने उसे अपने हाथ में लिया. गुलाब ने कहा, ‘मेरी मदद करने के लिए शुक्रिया. मै कोई मामूली गुलाब नही हूँ. तुम मुझसे जो मांगो वो मै तुम्हे दे सकता हूँ.’ रश्मि परी click here खुश हो गई. उसने गुलाब से कहा, ‘मै परीलोक की सबसे शक्तिशाली परी बनना चाहती हूँ.’ ऐसा कहते हुए वह गुलाब महल चली गई. वहा पर अन्य परियां भी खड़ी थी. जो आपस में बाते कर रही थी. तभी रश्मि परी को शरारत सूझी. उसने गुलाब को कहा, इन परियो को नीचे गिरा दो. परिया नीचे गिर जाती है. उन्हें पैरो में चोट भी आती है. रश्मि यही नही रूकती वह बाहर जाती है और पेड़ पर बैठे पक्षियों को भी नीचे गिरा देती है.
परियों के रानी की एक बेटी थी जिसका नाम शीतल था, लेकिन अपने नाम के विपरीत वह बहुत शरारती थी। शीतलता वाला कोई गुण उसके अंदर नहीं था। वह हमेशा अपने शरारत से महल में कोई न कोई मुसीबत उत्पन्न करती ही रहती थी।
परियों की कहानी से हमने यह सीखा है कि हमें अपने काम खुद क्यों नहीं चाहिए ना की किसी और को अपने काम करने के लिए कहना चाहिए।
लकड़हारा पास के ही एक वृक्ष के निचे बैठ कर भोजन करने के लिए अपने भोजन की गठरी खोलने लगा। तभी उसकी नजर एक वृद्ध व्यक्ति जो सामने से एक टक नजर से उसकी रोटी के तरफ देख रहा था उस पर पड़ी। लकड़हारा को समझ में आ गया की वह वृद्ध व्यक्ति बहुत ही भूखा हैं.
तभी तभी पायल कहती है कि परी भी मुझे माफ कर दीजिए आगे से मैं ऐसा नहीं करूंगा। आगे से जो भी काम होगा हम दोनों मिलकर क्या करेंगे। अंजलि पर किसी भी तरह का काम का बोझ होने नहीं देंगे कृपया करके आप मुझे मेरी सही स्थिति में ला दें।